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—हम ईश्वर को सर्वव्यापी, न्यायकारी मानकर उसके अनुशासन को अपने जीवन में उतारेंगे। —शरीर को भगवान् का मंदिर समझकर आत्म- संयम और नियमितता द्वार...
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मैं तो जमीं तो जमीं, आसमाँ छोड़ आया, जाने कितने दिलों की, दास्तां छोड़ आया ! मैं यादों के झरोखों से देखता हूँ अब भी, कि बदन साथ था, पर आत्मा छ...
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पुराने समय में किसी शहर में एक जौहरी रहता था, उसकी असमय मृत्यु हो गई। उसके परिवार में पत्नी और उसका एक बेटा था। जौहरी की मृत्यु के बाद उनके ...
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